' सदियों से भारत में दो प्रतिकूल विचार धाराएं चली आरहीं हैं ।
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क्या संघ परिवार और उसके हमजात शिवसैनिकों ने पहले ही हमारे यहां प्रतिकूल विचार या सृजन को कुचलने का कुचक्र नहीं छेड़ रखा है?
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इसके अलावा उसके लिए आवश्यक है कि वह अपने विषय के बारे में अनुकूल और प्रतिकूल विचार रखने वाले दोनो पक्षों के लोगों से समान व्यवहार और आदर के साथ पेश आएं ।
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इसके अलावा उसके लिए आवश्यक है कि वह अपने विषय के बारे में अनुकूल और प्रतिकूल विचार रखने वाले दोनो पक्षों के लोगों से समान व्यवहार और आदर के साथ पेश आएं ।
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नजर केवल आगामी लोकसभा चुनाव के बाद की राजनीति पर थी और कामना यह थी कि राष्ट्रपति भवन में कोई ऐसा व्यक्ति न बैठ जाए जो उनके द्वारा बनाए गए या उनके ईर्द-गिर्द बने समीकरण के प्रतिकूल विचार रखता हो।
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राजस्थान विश्वविद्यालय महिला संस्था (रुवा) के अध्यक्ष प्रो. राजकुमारी जैन और सचिव प्रो. बीना अग्रवाल ने लिखा-' यह विज्ञापन उपदेश के प्रतिकूल विचार का संप्रेक्षण करता है और कन्या वध के उपाय जन-जन तक पहुंचा रहा है।
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सदियों से भारत में दो प्रतिकूल विचार धाराएं चली आ रही हैं | एक ब्राह्मण वादी व दूसरी ब्राह्मण विरोधी, जो अम्बेडकरवादी विचार धारा है | “ इसी चर्चा में भाग लेती हुई एक अन्य पात्र सुमि कहती है.... ” वास्तव में वे धाराएं देव-संस्कृति व असुर संस्कृतियाँ हैं | क्योंकि न तो राम ब्राह्मण थे न कृष्ण ही जबकि रावण ब्राहमण था परन्तु ब्राह्मण-विरोधी | ”